Last updated on June 16th, 2023 at 01:52 pm
बायो-सावर्ट नियम (Biot-Savart’s law) चालक (conductor) में धारा (current) और आकाश में स्थित किसी बिंदु के चारों ओर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र [magnetic field] के मध्य मात्रात्मक संबंध व्यक्त करता है ।
धारा वाहक चालक का प्रत्येक भाग; बिंदु के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र में अपना योगदान देता है। इस प्रकार बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र B का नेटमान, चालक के अलग-अलग भागों का संयुक्त प्रभाव होता है।
जैसा कि चित्र (1) में दर्शाया गया है कि किसी धारा वाहक चालक के कारण नेट चुंबकीय क्षेत्र, δl लम्बाई के प्रत्येक अत्यन्त सूक्ष्म अवयव से उत्पन्न योगदानों का सदिश योगफल होता है।
बायो- सावर्ट नियम | Biot-Savart’s law statement in Hindi
प्रयोग दर्शाते हैं कि किसी अवयव dl के कारण चुंबकीय क्षेत्र B निम्नलिखित पर निर्भर करता है:-
(a) चालक से होकर प्रवाहित धारा, I के समानुपाती;
(b) अवयव की लम्बाई δl के समानुपाती;
(c) अवयव dl से प्रेक्षण बिंदु P तक की दूरी (r) के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है; और
(d) अवयव और अवयव को प्रेक्षण बिंदु से मिलाने वाली रेखा के मध्य कोण θ की sin के समानुपाती होता है।
इस प्रकार हम लिख सकते हैं:
जब कि μ0 निर्वात की पारगम्यता (permeability) है । इसका मान 4π x 10-7 WA-1 m-1 होता है। वायु की परगम्यता का मान भी लगभग μ0 के बराबर होता है।
यदि चालक को वायु के अतिरिक्त किसी अन्य माध्यम में रखा जाए तो क्षेत्र के मान में परिवर्तन हो जाता है और यह |B| = μ|B0| के द्वारा व्यक्त किया जाता है। यहां μ माध्यम की पारगम्यता है ।
चुंबकीय क्षेत्र B की दिशा | Direction of Magnetic field B
चुंबकीय क्षेत्र B की दिशा (Direction of magnetic field B):
किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र, सदिश राशि होती है। B की दिशा दक्षिण हस्त पकड़ नियम लागू करके ज्ञात की जा सकती है। इस नियम को लागू करने के लिए, कुछ सरल उदाहरणों में उत्पन्न क्षेत्र की दिशा पर विचार करना चाहिए।
The direction of magnetic field: a) Right-hand rule: thumb in the direction of current, field lines in the direction of curling fingers, and b) when current is in the plane of the paper, the field lines shall be in the plane of the paper, according to the right-hand rule.
जैसा कि चित्र 2[a] में दिखाया गया है तार को अपने सीधे हाथ से इस प्रकार पकड़िए ताकि अंगूठा, धारा की दिशा में रहे। तब हाथ की मुड़ी हुई उंगलियां, चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में दिष्ट होंगी। कागज पर चुंबकीय क्षेत्र निरूपित करने के लिए विचार कीजिए कि धारा, कागज के समतल में प्रवाहित हो रही है। तब दक्षिण हस्त नियम के अनुसार क्षेत्र – रेखाएं, कागज के समतल में होगी ।